-सदर प्रखंड की हरिपुर कर्मा पंचायत के गौतम कुमार सिंह ने टीबी को दी मात-जिला यक्ष्मा केंद्र में इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिली, साथ में राशि भी
बांका, 11 अगस्त
टीबी उन्मूलन को लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में बीमार पड़ने वाला व्यक्ति भी बांका आकर इलाज कराना चाहता है। यह टीबी उन्मूलन के प्रति जिला यक्ष्मा केंद्र के अधिकारियों और कर्मियों की मेहतन का फल है। दरअसल, 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि जागरूकता भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इसी का असर है कि अगर कोई सदस्य बाहर रहता है और वह टीबी की चपेट में आ जाता है तो घर के सदस्य उसे बांका आकर ही इलाज कराने की सलाह देते हैं।
यहां की बेहतर व्यवस्था की जानकारी लोगों को है।सदर प्रखंड की हरिपुर कर्मा पंचायत के रहने वाले गौतम कुमार सिंह को ही ले लीजिए। वह दिल्ली में ड्राइवरी करते थे। तबीयत खराब हुई तो निजी अस्पताल गए। वहां जांच में टीबी होने की पुष्टि हुई तो घरवाले ने जिला यक्ष्मा केंद्र आकर ही इलाज कराने के लिए कहा। दिल्ली से वापस आने के बाद जब जिला यक्ष्मा केंद्र गए तो गौतम की मुलाकात वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक शिवरंजन कुमार से हुई। शिवरंजन कुमार ने जांच करवाई। जांच में टीबी होने की पुष्टि हुई तो इसके बाद इलाज शुरू हुआ। इसी साल फरवरी में गौतम टीबी की चपेट में आए थे, लेकिन दवा का नियमित तौर पर सेवन किया तो आज स्वस्थ हो गए हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।
सरकारी व्यवस्ता पर लोगों को भरोसा करना चाहिएः गौतम कहते हैं कि सरकारी व्यवस्था पर लोगों को भरोसा रखना चाहिए। निजी अस्पतालों के पीछे भागने से पहले एक बार जरूर सरकारी अस्पताल आना चाहिए। मैं भी पहले निजी अस्पताल गया था, लेकिन घर के सदस्यों ने जब मुझे बताया कि जिला यक्ष्मा केंद्र में भी इलाज की बेहतर व्यवस्था है तो मैं उनकी बातों पर भरोसा कर घर आ गया। उसके बाद जब जिला यक्ष्मा केंद्र आया तो यहां पर वाकई में सभी कुछ अच्छा है।
जांच से लेकर इलाज तक में जो यहां के कर्मियों ने मेरा सहयोग किया, उसे मैं कभी भुला नहीं सकता। मुझे दवा भी मुफ्त में मिली और जब तक इलाज चला, तब तक मुझे पांच सौ रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी पौष्टिक आहार लेने के लिए दी गई।लक्षण दिखे तो जाएं सरकारी अस्पतालः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि हमलोग यही कोशिश करते हैं कि जो भी जिला यक्ष्मा केंद्र इलाज के लिए आए, वह पूरी तरह से स्वस्थ और संतुष्ट होकर जाए। अगर ठीक होने के बाद कोई मरीज बोल रहा है कि जिला यक्ष्मा केंद्र में जांच और इलाज की बेहतर व्यवस्था है तो लोगों को भरोसा करना चाहिए। साथ ही मैं लोगों से यही अपील करूंगा कि अगर किसी को टीबी के लक्षण नजर आए तो उसे इलाज के लिए तत्काल जिला यक्ष्मा केंद्र या फिर नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।