नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर रहें सजग और बीमारियों से रखें दूर

  • जन्म के बाद छः माह तक सिर्फ कराएं नवजात को माँ का स्तनपान, विकसित होगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
  • मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए संपूर्ण टीकाकरण भी जरूरी, संक्रामक बीमारी से भी होगा बचाव

खगड़िया, 06 अक्टूबर। नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल बेहद जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान नवजात की माँ का ही होता है। किन्तु, इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन जाती और नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। जिससे वह शारीरिक रूप से भी बेहद कमजोर होने लगता है।

बार-बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का बड़ा संकेत है। इसलिए, जन्म के बाद नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य देखभाल को लेकर पूरी तरह सजग रहें। इसके लिए नवजात की उचित देखभाल के साथ-साथ जन्म के बाद छः माह तक नवजात को सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इस दौरान पानी भी नहीं दें। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते बल्कि, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

  • माँ के दूध से बच्चों की विकसित होती है रोग-प्रतिरोधक क्षमता :
    परबत्ता सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजीव कुमार ने बताया, उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा और बच्चे स्वस्थ भी रहेंगे। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही दूध का सेवन कराएं और इस दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई ऊपरी आहार नहीं दें। यहाँ तक कि पानी भी नहीं दें। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। यह स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है, जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। छह माह के बाद बच्चों के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन, इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें।
  • मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी रखता है दूर :
    मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरुआती दौर से ही सजग रहें। दरअसल, अगर शुरुआती दौर में ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा।
  • जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को पिलाएं माँ का दूध :
    नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को माँ का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझ नवजात को नहीं पिलाते हैं। जबकि, सच यह है कि माँ का पहला गाढ़ा-पीला दूध को प्रथम टीका कहा गया है और नवजात के लिए काफी फायदेमंद होता।
  • छः माह के बाद ही नवजात को दें ऊपरी आहार :
    नवजात को छः माह के बाद किसी प्रकार का बाहरी या ऊपरी आहार दें। छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं और कम से कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ माँ का स्तनपान भी जारी रखें। साथ ही नवजात के लालन-पालन के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं, गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे वह संक्रामक बीमारी से दूर रहेगा।
  • मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए संम्पूर्ण टीकाकरण भी जरूरी :
    मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए संपूर्ण टीकाकरण भी बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण है। संम्पूर्ण टीकाकरण बच्चे को कई तरह के बीमारियों से दूर रखता है और बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए, बच्चे का संम्पूर्ण टीकाकरण कराएं। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बिलकुल नहीं करें। प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित टीकाकरण शिविर का आयोजन किया जाता है।
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