मंदिर दे रहे हैं करोड़ों लोगों को रोजगार

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे मंदिर करोड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इतना रोजगार देना सरकार के वश में भी नहीं है जितना हमारे मंदिर दे रहे हैं। आप अपने परिवार के साथ बड़े बड़े मंदिरों में जाते हैं। पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लेते हैं, चढ़ाने के लिए माला, चुनरी, मेवा, दूध, दही, माखन, मिश्री आदि न जाने कितनी ही चीजें लेते हैं।

मंदिर के चारों तरफ घूमकर देखो। हर दुकान, ठेलियों को देखो कि कौन क्या बेच रहा है। कहीं चाट खाई, कहीं जलेबी, महिलाओं के लिए श्रृंगार आदि का सामान, चाय पकोड़े और भी अनेकों सामान बिकता है। ये सब देखकर आपको अंदाजा लगेगा कि एक बडा मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। यह काम तो हजारों करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है। मंदिर किसको रोजगार दे रहा है ! ये वे लोग हैं ,जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है। इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें। अर्थव्यवस्था में समाज के निचले स्तर के लोग हैं। ये मंदिर किस तरह किस किसको रोजगार दे रहे हैं, हमें विस्तार से समझना होगा-

१.धार्मिक पुस्तक बेचने वालों को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।

२. माला बेचने वालों को, घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों और उन्हें बनाने वालों को रोजगार देते हैं।

३. फूल वालों को, माला बनाने वालों और फूल उगाने वाले किसानों को रोजगार देते हैं।

४. मूर्तियां-फोटो बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।

५. मंदिर प्रसाद बनाने, बेचने वालों और किसानों भी को रोजगार देते हैं।

६. कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देते हैं।

७. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं, उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।

८. लाखों पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।

९. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।

१०. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती हैं, उन्हें भी रोजगार मिलता है।

११. मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।

१२. मंदिरों के कारण दिया बनाने और कलश बनाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।

१३. मंदिरों से उन हजारों खच्चरवालों को रोजगार मिलता है, जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जाते हैं।

१४. भारत में दो लाख से अधिक जो होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहने वाले लोगों को मंदिर ही तो रोजगार देतें हैं।

१५. तिलक बनाने वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचने वालों को भी ये मंदिर रोजगार देते हैं।

१६. गुड-चना बनाने वालों और किसानों को भी मंदिर रोजगार देते हैं।

१७. तिल-तेल बेचने वालों, तेल निकालने वालों और किसानों को भी मंदिर रोजगार देते है

१८. लाल-काला कपड़ा बेचने वालों, बनाने वालों और किसानों को भी हमारे मंदिर रोजगार देते हैं।

१९. मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।

२०. मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।

२१. मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल-बरगद -पिलखन- आदि वृक्षों की रक्षा होती है।

२२. मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं- मेलों में जो चरखा-झूला चलाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।

२३. मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमते हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौडे़-टिक्की बेचने वाले सभी गरीबों और अनाज पैदा करने वाले किसानों का जीवन यापन भी तो चलता है।

सनातन धर्म उन करोड़ों लोगों को रोजगार देता है, जो गरीब हैं।
जो ज्यादा पढे लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है। मंदिर जब तक रहेंगे, तब तक रोजगार देते रहेंगे।

यह सामाजिक, धार्मिक उन्नयन के केंद्र हैं। यदि आर्थिक दृष्टि से देखें, तो मंदिर, अपने निवेश से कई हजार गुना रोजगार दे रहे हैं।
शायद हमनें अपनी धार्मिक आस्था के कारण इसको देखा ही नहीं। हमारे मंदिर, आर्थिक गतिविधियों के बहुत बड़े़, स्थाई केंद्र हैं। इसी लिए मन्दिर बचाओ, रोजगार बचाओ। हमारे मंदिर रोज़गार का साधन तो है ही, आध्यात्मिकता का प्रचार, प्रसार भी है।

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