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दुनिया के ठंडे क्षेत्र अमेरिका, चीन, यूरोप में पहली बार जुलाई सबसे गर्म, अमेरिका ने पेड़ लगाने के लिए एक अरब डॉलर का फंड जारी किया

दुनिया के ठंडे क्षेत्र अमेरिका, चीन, यूरोप में इतिहास में पहली बार जुलाई सबसे गर्म महीना रहा है। इस बार दुनिया के ठंडे इलाके इसकी चपेट में आ गए और तेज गर्मी के चलते इस साल जुलाई का महीना अब तक के इतिहास में सबसे गर्म रहा है। महीना अभी ख़त्म भी नहीं हुआ है, लेकिन यह पहले से ही रिकॉर्ड पर सबसे गर्म जुलाई है। पूरी दुनिया में गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसकी वजह से उत्तरी अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे देशों में कम गर्मी वाले क्षेत्रों का बुरा हाल हो गया है।

भारत में एनसीआर समेत उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में जुलाई महीने तक कई बार भीषण गर्मी पड़ती है, लेकिन इस बार इन इलाकों में ज्यादा गर्मी देखने को नहीं मिली बल्कि ताबड़तोड़ बारिश से देश के अधिकतर देशों में बाढ़ की स्तिथि बनी है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन की चेतावनी काफी समय से दी जा रही है, लेकिन अब यह हमारी आंखों के सामने है। प्रकृति में भयानक परिवर्तनों के कारण यह परिणाम हुआ है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के एक विशेषज्ञ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति इस तरह का रवैया चिंता का विषय है, लेकिन अब ऐसा लगता है कि आने वाले सालों में ऐसी ही भीषण गर्मी से बचना और उसका सामना करना मुश्किल होगा।
दुनिया में औसत तापमान भी तेजी से बढ़ रहा है। नतीजा यह है कि ठंडे इलाकों में भी लू चल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार यह एक खतरे की घंटी है और हमें सचेत होकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास शुरू करने चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि शीत लहर के कारण अमेरिका को सालाना 100 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए अमेरिका ने तुरंत शहरों और गांवों में पेड़ लगाने के लिए एक अरब डॉलर का फंड जारी कर दिया। वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में लू लगना आम बात नहीं है। यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं है बल्कि अत्यधिक मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकृति में यह बदलाव आया है, जो आने वाले दिनों के लिए एक चेतावनी होगी।

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