चीन की विशाल अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर, सैंकडों कम्पनियां दिवालिया हो गई हैं। विदेशी कंपनी अपनी फैक्टरी चीन से हटाकर दूसरे देशों में ले जा रही हैं। दुनियाभर के जानकार चीनी अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर चिंता जता रहे है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चालीस साल से चीन की इकोनामी में जो बढ़त थी, अब वो खत्म हो रही है।
चीन की खराब हालत के पीछे चीन का वो इकोनामिक मॉडल है जिसमें बड़े पैमाने पर इंफ्रस्ट्रक्चर, फैक्ट्री और निर्माण क्षेत्र में निवेश किया गया लेकिन उससे अच्छा रिटर्न्स नहीं मिला। चीन ने दुनिया भर में जो निवेश किया उससे भी कोई रिटर्न्स नहीं मिल रहे हैं।
न्यूयार्क टाइम्स ने भी चीन की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाये NYT ने कहा है कि चीन का रियल स्टेट सेक्टर डूब रहा है और चीन की ने इसे बचाने के लिए कोई उपाय नहीं किया। लाखों की संख्या में रियल स्टेट द्वारा डेवलप प्रोपर्टी खाली पडी हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया भर में सप्लाई और विदेशी कंपनियों द्वारा चीन में किये गये निवेश से चल रही थी। अमेरिका और बाकी दुनिया से चीन के बढ़ते तनाव का सीधा असर हो रहा है. विदेशी कंपनियां चीन से अ्पना काम-काज समेट रही है। चीन अपनी घरेलू चुनौतियों से निपटने में भी विफल साबित हो रहा है। पाकिस्तान, श्रीलंका एवं अफ्रीकी देशों में चीन के भारी-भरकम निवेश सफेद हाथी साबित हुए। रही-सही कसर अमेरिका से सीधी टकराहट के साथ पूरी हो गयी।