प्रदूषण से बच्चों में दिल, फेफड़े, सांस से जुड़ी बीमारियों के साथ उनके मानसिक विकास (मेंटल डेवलपमेंट) पर भी बेहद खराब प्रभाव पड़ रहा है। खासकर 15 साल से कम उम्र वालों में दिखाई दे रहा है। प्रदूषण से सिर्फ पुराने सांस और दिल की जुड़ी बीमारियों के मरीज ही नहीं बल्कि नए लोग भी बीमार हो रहे हैं।
डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषण से बच्चों में दिल, फेफड़े, सांस से जुड़ी बीमारियों के साथ उनके मानसिक विकास पर भी बेहद खराब प्रभाव पड़ रहा है। इतना ही नहीं दिल्ली- एनसीआर के तीन बड़े अस्पतालों के विशेषज्ञों के अनुसार हफ्तेभर के दौरान बच्चों में सांस व फेफड़े से संबंधित तकलीफ के मामले बढ़ गए हैं।
जांच में पाया गया है कि रोजाना 30-35 सिगरेट पीने वाले स्मोकर की तरह इस प्रदूषण से बच्चों की सांस की नली सिकुड़ रही है। उनके फेफड़े प्रभावित होने से सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
बच्चों की श्वसन नली सिकुड़ रही है। इसका असर उनके फेफड़े पर पड़ता है। उन्हें अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों के ब्रेन और हार्ट में इसका असर होने से उनका मानसिक व शारीरिक विकास दोनों प्रभावित होता है।