अमेरिका में एक महीने में 4 भारतीय छात्रों की मौत, विदेशों में भारतीय छात्र सुरक्षित नहीं हैं। बीते 6 वर्षों में विदेशों में पढ़ रहे 403 छात्रों की मौत हो चुकी है। जिनमें सबसे अधिक 91 मौत अकेले कनाडा में हुई हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। जयशंकर ने कहा कि 2018 से अब तक कुल 403 भारतीय छात्र मौत की शिकार हुए हैं। लोकसभा में उन्होंने जो आंकड़ा प्रस्तुत किया, उसके मुताबिक सबसे ज्यादा 91 मौत के मामले कनाडा में हुए हैं।
जयशंकर के आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा के बाद दूसरे नंबर पर ब्रिटेन का नाम आता है। यहां पिछले 6 साल में 48 छात्र मौत के शिकार हुए हैं। इस मामले में रूस तीसरे नंबर पर है, यहां 2018 से अब तक 40 छात्रों की मौत हुई है। वहीं, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की इन छह साल में मौत हुई है। इसके अलावा साइप्रस में 14 छात्रों की मौत हुई है, जबकि फिलीपींस और इटली में 10-10, कतर-चीन और किर्गिस्तान में नौ-नौ भारतीय छात्र मौत के शिकार हुए हैं।
ताजा मामला ओहायो का है, जहां 19 साल के भारतीय छात्र श्रेयस रेड्डी बेनिगेरी की संदिग्ध स्थिति में मौत हुई है। भारतीय मूल के किसी छात्र की मौत होने का ये चौथा मामला है। इससे कुछ ही दिन पहले पर्ड्यू विश्वविद्यालय में पढ़ रहे भारतीय मूल के छात्र नील आचार्य का शव मिला था। वहीं जॉर्जिया में विवेक सैनी नाम के एक भारतीय छात्र की हत्या कर दी गई थी। इससे पहले 18 साल के छात्र अकुल बी धवन का शव मिला था।