आओ जाने चार धाम यात्रा के संबंध में
चार धाम की यात्रा करते समय हो सकता है कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं मालूम हो कि ये चारों धाम कहां हैं और इनकी यात्रा का महत्व क्या है।
हाल ही के प्रचार माध्यम के चलते उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा को ही चार धाम की यात्रा माना जा रहा है जबकि इन चारों की यात्रा करना तो एक धाम की यात्रा ही कहलाती है।
*तीर्थ यात्रा करना क्यों जरूरी?*
*छोटा चार धाम* :बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों की अधिक संख्या और इसके उत्तर भारत में होने के कारण यहां के वासी इसी की यात्रा को ज्यादा महत्व देते हैं इसीलिए इसे छोटा चार धाम भी कहा जाता है। इस छोटे चार धाम में बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग), यमुनोत्री (यमुना का उद्गम स्थल) एवं गंगोत्री (गंगा का उद्गम स्थल) शामिल हैं।
*बदरी्नाथ धाम* :हिमालय के शिखर पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। यह चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप में बद्रीनाथ को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर को आदिकाल से स्थापित और सतयुग का पावन धाम माना जाता है। इसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। बद्रीनाथ के दर्शन से पूर्व केदारनाथ के दर्शन करने का महात्म्य माना जाता है।
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के अंत या मई के प्रथम पखवाड़े में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा- अर्चना चलने के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
दूसरा धाम…
*जगन्नाथ पुरी* :भारत के ओडिशा राज्य में समुद्र के तट पर बसे चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी की छटा अद्भुत है। इसे सात पवित्र पुरियों में भी शामिल किया गया है। ‘जगन्नाथ’ शब्द का अर्थ जगत का स्वामी होता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है।
इस मंदिर का वार्षिक रथयात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
तीसरा धाम..
*रामेश्वरम* :भारत के तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे स्थित है हिंदुओं का तीसरा धाम रामेश्वरम्। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। रामेश्वरम् में स्थापित शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर में केदारनाथ और काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है।
मान्यता अनुसार भगवान राम ने रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व एक पत्थरों के सेतु का निर्माण भी करवाया था, जिस पर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची। बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था।
अंत में चौथे धाम को जानिए….
*द्वारका* :गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित चार धामों में से एक धाम और सात पवित्र पुरियों में से एक पुरी है- द्वारका। मान्यता है कि द्वारका को श्रीकृष्ण ने बसाया था और मथुरा से यदुवंशियों को लाकर इस संपन्न नगर को उनकी राजधानी बनाया था।
कहते हैं कि असली द्वारका तो समुद्र में समा गई थी लेकिन उसके अवशेष के रूप में आज बेट द्वारका और गोमती द्वारका नाम से दो स्थान हैं। द्वारका के दक्षिण में एक लंबा ताल है, इसे गोमती तालाब कहते हैं। इसके नाम पर ही द्वारका को गोमती द्वारका कहते हैं। गोमती तालाब के ऊपर नौ घाट हैं। इनमें सरकारी घाट के पास एक कुंड है जिसका नाम निष्पाप कुंड है। इसमें गोमती का पानी भरा रहता है।
*सात पुरी* ये हैं-
अयोध्या मथुरा माया काशी काशी अवन्तिका।
पुरी द्वारवती जैव सप्तैता मोक्षदायिका:॥
उक्त चारों धाम के मार्ग में देश के सभी प्रमुख तीर्थ स्थल पड़ते हैं जिससे उन सभी के दर्शन भी हो ही जाते हैं।