गोकुल बैराज बदहाल,आगरा को नाला समतुल्य पानी का हो रहा है ‘डिसचार्ज’
–हरनाल एस्केप से मिलने वाला 150 क्यूसेक गंगाजल ‘क्रूज तैराने’ को हो रहा इस्तेमाल
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने मंडल की एक मात्र सक्रिय वाटर वॉडी ‘ गोकुल बैराज’ की बदहाली पर चिंता व्यक्त की है, इसका निर्माण 2003 में यमुना नदी में अविरल जलप्रवाह को सुनिश्चित करने के साथ ही 30 क्यूसेक मथुरा और बृंदावन को तथा आगरा को न्यूनतम 115 क्यूसेक यमुना जल का डिस्चार्ज सुनिश्चित करने के लिये हुआ था । वर्तमान में बैराज से डउन स्ट्रीम में आगरा के लिये जो जलराशि डिसचार्ज की जा रही है,वह नियत मात्रा से कहीं कम है। इस पानी की गुणवत्ता भी डी ओ आदि अन्य मानकों से बेहद न्यून तथा शहरी क्षेत्र के नालों के पानी के लगभग समतुल्य सी है।
सबसे ज्यादा चिंता का विषय गोकुल वासी और श्रद्धालु हैं,जो कि अपनी दिनचर्या की आदत ,आवश्यकता और गोकुल तीर्थ के प्रति आस्था के कारण बैराज के डाउन में ठकुरानी घाट से लेकर रमण रेती तक विस्तृत तटीय क्षेत्र में प्रदूषण की चिंता किये बिना ही यमुना नदी में स्नान किया करते हैं।जबकि प्रथम दृष्टया: प्रतीत होता है,कि यमुना नदी में स्नान करने करने के नाम पर उन्हें आस्था के वशीभूत जिस जल में डुबकी लगानी पड़ती है,वह किसी भी प्रकार से बिना शोधन के मानव उपयोग का नहीं है।
–गोकुल के घाटों पर ‘शावर’ या ‘टव’ युक्त स्नाग्रह बनें
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का मानना है कि गोकुल में मानव स्वस्थ्य की सुरक्षा को दृष्टिगत शुद्ध या शोधित पानी के ‘शावर’ या ‘टव’ वाले स्नान ग्रह बनवाये जायें।जिनमें स्वच्छ पानी से स्नान कर यमुना नदी में डुबकी लगाने वाले स्नानार्थी स्नान कर मानसिक और शारीरिक रूप से भी अपने को नहाया धोया महसूस कर सकें। पब्लिक के लिये उपलब्ध समुद्र तटों पर सामान्य रूप से इस प्रकार के स्नाग्रह क्षेत्र का नगर निगम से लेकर ग्राम पंचायतें तक बनवाती हैं। चूंकि गोकुल स्थानीय निकाय अपनी राजस्व आय की दृष्टि से इस प्रकार के स्नाग्रह बनाने और संचालित रखने में असमर्थ है, इस लिये यह कार्य उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के द्वारा करवाया जा सकता है, वैसे भी परिषद के कार्यक्षेत्र में गोकुल है।
–हरनाल एस्केप की जगह अब पचावर ड्रेन होकर दिया जाये गंगा जल
चूंकि वृंदावन से लेकर गोकुल तक यमुना नदी के 14 कि मी भाग में पानी की भरपूरता है और मथुरा क्रूज लाइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी काशी की तर्ज पर ‘गरुण’ क्रूज की सेवा शुरू हो चुकी है।इस लिये आगरा की पेयजल जरूरत को दृष्टिगत हरनाल एस्केप से 150 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज अपर गंगा कैनाल की मांट ब्रांच से पोषित बलदेव रजवाह के एस्केप ‘पचावर ड्रेन ‘ होकर गोकुल बैराज के डाउन में डिस्चार्ज किया जाना शुरू होना चाहिये। वैसे भी कूज संचालन के लिये पानी की गुणवत्ता खास महत्व नहीं रखती है, इस लिये गंगा का पानी व्यर्थ में गोकुल बैराज के अप स्ट्रीम में डालने का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। वहीं गोकुल बैराज के डाउन में गंगाजल डिसचार्ज होना शुरू होते ही आगरा के लिये यमुना नदी अत्यंत राहतकारी हो जायेगी।वैसे भी गंगा का पानी यमुना नदी के पानी में प्रदूषण को कम कर पेयजल के लिये शोधन लायक बनाने के लिये ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर मिलना शुरू हुआ था न कि क्रूज के तैरने लायक यमुना नदी का जलस्तर बनाये रखने के लिये।
–अब यमुना का पानी वाटर सप्लाई के लिये उपयोग में नहीं
बृज क्षेत्र के प्रमुख मीडिया माध्यमों से आ रहे है उनके अनुसार मथुरा-वृंदावन की वाटर सप्लाई के लिये अब पाडला फाल से पोषित गंगा जल पाइप लाइन के पानी का ही उपयोग किया जा रहा है। अपर गंगा कैनाल मांट ब्रांच के हरनाल एस्केप का पानी यमुना नदी का जलस्तर ( लेवल) क्रूज तैरने लायक बनाये जाने के लिये आवंटित नहीं हुआ था इस लिये इस व्यवस्था को जारी रखने का अब औचित्य ही नहीं रहा। वैसे भी हरनाल एस्केप चैनल की हालत अत्यंत खराब है,वहीं बल्देव रजवाह मांट नहर की टेल(टर्मिनल) से एक अन्य राजवाह (धिंगैटा राजवाह) के साथ निकलता है। बल्देव रजवाह का एस्केप ‘पचावर ड्रेन ‘ रेणुका घाट (रुनकता) के अपस्ट्रीम में यमुना में गंगा जल डिस्चार्ज करने की भरपूर क्षमता रखता है। एत्मादपुर के विधायक डॉ धर्मपाल सिंह और सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य स्व. रमन जी पचावर ड्रेन से आगरा के लिये यमुना नदी में गंगा जल डिस्चार्ज करने का प्रयोग करवा चुके हैं।
–यहां यमुना नदी में जल के लिये आरतियां, वहां चल रहे हैं क्रूज
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने कहा है कि आगरा में नागरिक यमुना नदी की दुर्दशा से बेहद दुखी हैं,आस्था से जुडी परपरंपरा और शहरवासियों की जनवेदना को अभिव्यक्त करने के लिये प्रख्यात पर्यावरण एक्टिविस्ट श्री बृज खंडेलवाल और मथुरेश जी मंदिर बेलनगंज के महंत पं.जुगल किशोर श्रोत्रिय,जी सूखी यमुना नदी में पानी की भरपूरता के लिये जहां एक दशक से अधिक समय से लगातार सांध्य आरती व पूजन आदि कर रहे हैं,वहीं नदी में आगरा के हक का पानी गोकुल में नदी का बहाव सीमित कर दुबई से आयात किये गये क्रूज ‘गरूण ‘ का संचालन किये जाने जैसे अत्यंत सीमित उपयोगिता के पर्यटन बढावा देने के नाम पर प्रयोग हो रहे हैं।
सीवरेज उपचार योजना का करवाये क्रियान्वयन
आगरा को मिलने वाले यमुना नदी के प्रदूषित पानी का करण दिल्ली के ओखला बैराज और हरियाणा से किये जाने वाले पानी को माना जाता है, लेकिन गोकुल बैराज के अपर्स्टीम में मथुरा-वृंदावन के नाला और सीवर के प्रबंधन को कार्यरत सेवा प्रदाता भी कम नहीं हैं। वर्तमान में मथुरा और वृंदावन में सीवेज उत्पादन 47 एमएलडी है, जिसके 2035 में बढ़कर 61 एमएलडी होने की उम्मीद है। मथुरा में उपलब्ध कुल सीवेज उपचार क्षमता 44 एमएलडी है। हाइब्रिड एन्युटी आधारित पीपीपी मोड (एचएएम) के तहत मथुरा सीवेज योजना सीवर टैपिंग को प्रभावी है। कई साल से प्रभावित इस योजना की कागजी स्थिति क्या है,यह तो जल निगम और वरिष्ठ अधिकारी ही जानते होंगे किंतु देश में अपशिष्ट जल उपचार के इतिहास में अपनी तरह की पहली बताये जाने वाली इस योजना जमीनी स्थिति असरहीन ही लगी। योजना के तहत नए सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के विकास के साथ-साथ मौजूदा उपचार बुनियादी ढांचे के पुनर्वास और संचालन को एकीकृत करने जैसे महत्वाकांक्षी कार्य होने हैं।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की टीम में राजीव सक्सेना,अनिल शर्मा, असलम सलीमी और कांति नेगी थे.