– दो हफ्तों से ज्यादा खांसी है, वजन कम हो रहा है तो दस्तक की टीम को बताएं
– जनपद में घर-घर पहुंच रही है दस्तक की टीम, अभियान के दौरान दस नये टीबी मरीज मिले
– टीबी सहित कुष्ठ, डायरिया और संचारी रोगों की रोकथाम को चल रहा दस्तक अभियान
आगरा,
यदि आपको दो हफ्तों से ज्यादा खांसी आ रही है, आपका वजन कम हो रहा है, भूख नहीं लग रही है, बुखार आता है, बलगम में खून आता है तो इन दिनों आपके घर पर आ रही दस्तक की टीम को यह जानकारी जरूर दें। जनपद में 11 से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान संचालित हो रहा है। अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर दस्तक दे रही हैं। दस्तक अभियान में अब तक दस टीबी के नये मरीज मिल चुके हैं। अभियान के दौरान टीबी सहित कुष्ठ, डायरिया बुखार, खांसी और संचारी रोगों की रोकथाम के लिए दस्तक की टीम लोगों को जागरुक कर रही है साथ ही मरीजों की लिस्टिंग भी कर रही है, जिससे कि मरीजों का उपचार समय से किया जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद में चल रहे दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाने का निर्देश है। भ्रमण के जरिये वह बुखार, खांसी, किसी प्रकार की एलर्जी, कुष्ठ रोग, टीबी इत्यादि तो नहीं है यह जानकारी लेगी और बुखार के रोगियों को सूचीबद्ध करेंगी, संचारी रोगों से बचाव के उपाय बताएंगी, डायरिया रोको अभियान के तहत ओआरएस का पैकेट देंगी और साथ ही टीबी और कुष्ठ के मरीजों को भी खोजेंगी। दस्तक अभियान के दौरान दस टीबी मरीज मिल चुके हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2025 तक जनपद में टीबी का उन्मूलन हो सके, इसके लिए विभागीय प्रयासों के साथ समुदाय के स्तर से सहयोग मिलना नितांत आवयक है। इसके लिए टीबी मरीजों की खोज करके उनका उपचार किया जा रहा है। टीबी का उपचार और जांच पूरी तरह से मुफ्त हैं। दस्तक अभियान के दौरान भी टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। इसलिए किसी को टीबी के लक्षण हैं तो वह दस्तक की टीम को अवश्य बताएं। उन्होंने बताया कि किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी का मरीज भी हो सकता है। ध्यान रखना है कि खांसी का ऐसा हर मरीज टीबी का रोगी नहीं होता है, लेकिन अगर यह लक्षण है तो टीबी की जांच जरूर कराई जानी चाहिए। इसके अलावा बलगम में खून, सांस फूलना, तेजी के साथ वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीने के साथ बुखार आना जैसे लक्षण भी टीबी में नजर आते हैं। अगर किसी के परिवार का कोई सदस्य वा पड़ोसी व रिश्तेदार इन लक्षणों से ग्रसित है तो उसे जांच के लिए प्रोत्साहित करना है। अगर ऐसे लोगों की समय से जांच हो जाए और इलाज हो तो वह न केवल वह ठीक हो जाते हैं, बल्कि दूसरे लोग भी टीबी संक्रमित होने से बच जाते हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि सामाजिक भेदभाव के डर से टीबी मरीज जांच व इलाज के लिए कई बार सामने नहीं आते हैं। अगर एक मरीज की समय से पहचान कर इलाज न हो तो वह वर्ष में दस से बारह लोगों को टीबी संक्रमित कर सकता है, लेकिन यदि ऐसे मरीज को खोज कर तुरंत दवा आरंभ कर दी जाए तो वह तीन हफ्ते बाद किसी को भी संक्रमित नहीं करता है। सरकारी अस्पतालों में टीबी की समस्त जांचे व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। मरीजों को इलाज के साथ सही पोषण देने के लिए पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से उनके खाते में भी दिये जाते हैं। इस तरह ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीज छह माह में, जबकि ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीज डेढ़ से दो साल में ठीक हो जाता है।
टीबी को पहचानने के लक्षण :
* दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आना, टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है।
* रात में सोते समय पसीना आना
* बुखार का बने रहना
* थकावट होना
* वजन घटना
* सांस लेने में परेशानी