संकलनकर्ता – आशीष गुप्ता
आज स्टीफेन हॉकिंग का जन्मदिन है । हॉकिंग के अनुसार पृथ्वी की आयु 200 से 500 वर्ष तक ही बची है । उन्होंने पृथ्वी वासियों को सलाह दी थी कि इन्हें अपना घर किसी और ग्रह पर बनाना चाहिए ।
आज एक वैज्ञानिक उपन्यास ख़त्म किया जिसका टाइटल है अन्तरिक्ष में विस्फोट ।जाने माने वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्लीकर द्वारा लिखित यह उपन्यास मूलतः मराठी में है । हिंदी में तो वैसे भी वैज्ञानिकता शून्य है ।
ख़ास बात यह है कि इस उपन्यास का कथ्य हॉकिंग के कथन से क़रीब -क़रीब मेल खाता है । हॉकिंग के कथन के अनुसार 2500 ईसवी तक धरती की उम्र है ।तो यह किताब भी ऐसा ही कुछ प्रतिपादित करती हुई जान पड़ती है ।
सन 632 में हर्षवर्धन के समय एक बौद्ध भिक्खु सारिपुत्र को रात के समय एक आकाश में एक अलौकिक दृश्य दिखता है जिसका वर्णन वे ताम्र पत्रों में करते हैं और उनको ज़मीन में गड़वा देते हैं । आईडिया यह है कि भविष्य की पीढ़ियां जब उत्खनन करेंगी तो उन्हें इन ताम्र पत्रों में अंतरिक्ष में घटी इस घटना के बारे में जानकारी मिलेगी ।यह घटना सुदूर किसी तारे के विस्फ़ोट की जिससे असीमित ऊर्जा निकलती है और चूंकि यह तारा हज़ारों प्रकाश वर्ष दूर है तो यह घटना भी कुछ हज़ार साल पहले हुई होगी और प्रकाश के धरती तक पहुंचने में कई हज़ार साल लगे होंगे । और प्रकाश के पीछे पीछे सुदूर तारे से निकली हुई एनर्जी या कण पृथ्वी तक पहुँचने में भी बहुत समय लगेगा ।ज़ाहिर है जब भी इस तारे के कण नीचे धरती पर पहुंचगे तो वह संकट का काल होगा पृथ्वी के लिए ।
1996 में यह ताम्रपत्र टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नक्षत्र विज्ञानी अविनाश को प्राप्त होते हैं ।उस पर रिसर्च होता है, निष्कर्ष निकाले जाते है ।
फिर 2080 में उन्हीं तामपत्रों पर आधारित शोध से यह पता चलता है कि जल्दी ही तारे के विस्फोट का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ेगा।ओज़ोन लेयर नष्ट हो जाएगी ।धरती के सारे ज्ञान को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने का इंतज़ाम किया जाता है ।
2710 में धरती फिर से आरंभिक काल मे पहुँच जाती है। मतलब दुनिया नष्ट हो जाती है लेकिन लालटेन युग तक 2710 में लोग पहुँच जाते है ।कोई देश का कांसेप्ट नहीं होता है क्यों कि पापुलेशन बहुत कम है ।
ओज़ोन लेयर नष्ट होने का ख़तरा आज भी है,ग्लोबल वार्मिंग और हॉल में कोरोना जैसी बीमारी, क्या ऐसा ही कुछ संकेत नहीं है कि धरती पर इंसान कुछ ही वर्षों का मेहमान है ?
2080 भी दूर नहीं है ।
संकलनकर्ता
आशीष गुप्ता