कोणार्क मन्दिर कला व विज्ञान का अद्भुत संगम

साभार..कोणार्क मंदिर की मूर्ति उसके भवन से अधिक प्राचीन है। श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने श्राप निवारण के लिए चंद्रभागा तट पर तपस्या की थी। उस समय समुद्र का विस्तार कोणार्क मंदिर तक नहीं था। जब वे श्राप मुक्त हुए तब चंद्रभागा में उन्हें सूर्य की प्रतिमा मिली। उस प्रतिमा को उन्होंने जिस स्थान पर स्थापित किया, वहीं कोणार्क बनाया गया। मंदिर बहुत समय बाद बना। कोणार्क सूर्य मंदिर को गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हादेव ने १२५५ ईसवी के लगभग १२०० मजदूरों की सहायता से बनवाया था। इसके निर्माण में बारह वर्ष का समय लगा। कोणार्क फिर चर्चा में है।

नई सरकार आने के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कुछ उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। मध्यप्रदेश में वह भले ही उदासीन हो लेकिन विश्व धरोहरों का मोल अब ये विभाग समझने लगा है। एएसआई इस समय कोणार्क सूर्य मंदिर पर भी कार्य कर रहा है। ११७ वर्ष से भी अधिक समय से सूर्य मंदिर का जगमोहन कक्ष बंद पड़ा है। इसमें रेत भरी हुई है। विश्व विरासत कोणार्क के इस ब्रिटिशों ने भर दी थी ताकि मंदिर का पराभव न हो।
जगमोहन कक्ष की रेत निकालने से पहले केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने एक कॉन्फ्रेंस बुलाकर व्यापक विमर्श किया है। रेत का विकल्प स्थायी नहीं हो सकता। रेत निकालने में जोखिम है क्योंकि मंदिर का ढांचा ढह सकता है। एएसआई ने ये चुनौती स्वीकार कर ली है और योजना पर काम शुरू कर दिया है।
यदि हम स्वतंत्रता पश्चात देशभर में बिखरी अपनी पूरा-संपदा संवार लेते तो कदाचित आज विश्व मे पर्यटन से सबसे अधिक धन हम ही कमाते। लेकिन हम सब कुछ नष्ट करते चले गए। कई बार सरकारें देश के नागरिकों की इच्छा देखकर भी निर्णय लेती है। देश की राज्य सरकारों को मालूम है कि आम नागरिक अपनी प्राचीन संस्कृति और उसके अनुपम शिल्प से कोई मोह नहीं रखता इसलिए पुरातत्व के लिए जो बजट रखा जाता है, वह यहां बताने योग्य नहीं है।

अयोध्या, भोजशाला, मथुरा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, रायसेन, उज्जैन और जाने कितने स्थानों पर हमने निर्ममता से अपने पुरखों के चिन्ह मिटा डाले हैं। जो देश इतिहास नहीं सहेजता, वह बिना पूंछ का राष्ट्र होता है। उस देश के बच्चे अपनी संस्कृति से कटे रहते हैं, इसलिए देश पर गर्व भी नहीं कर पाते। अभी हम बच्चों को मॉल संस्कृति सिखाने में बिजी हैं। उससे फुरसत पा जाए, फिर सोचेंगे कि हमारे पिछवाड़े जो दुम थी, क्या अब भी उसी जगह मौजूद है?
प्रह्लाद पटेल जी को अनेको साधुवाद। वे मोदी मंत्रिमंडल के सर्वाधिक योग्य मंत्रियों में से एक हैं।

अवधेश प्रताप सिंह, कानपुर, उत्तर प्रदेश,

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