दो हजार से अधिक लोगों का राज परिवार, हर सदस्य सऊदी अरब का राजा बनना चाहता है।

सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था।

लेकिन सऊदी के कबीलों को यह नहीं पसंद था कि तुर्की का खलीफा उस पर राज करें क्योंकि अरबी मुस्लिम अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे और तुर्क अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे।

तुर्की के खलीफा ने इस्तांबुल से अम्मान फिर अम्मान से दमास्कस यानी दमिश्क़ फिर दमास्कस से होते हुए सऊदी अरब के विशाल रेगिस्तान को पार करके मक्का और मदीना तक रेलवे लाइन बिछाई थी जिसे हेजाज रेलवे कहते हैं।

तुर्की का खलीफा सऊदी अरब के लोगों से एक गुलाम की तरह व्यवहार करता था और उसका कमांडर जब चाहे तब अरबों को मार डालता था उसी समय अंग्रेज तुर्की के खलीफा का पतन करना चाहते थे अंग्रेजों को यह बहुत अच्छा मौका मिला और उन्होंने कैप्टन लॉरेंस को इस गुप्त ऑपरेशन पर लगा दिया ।

लॉरेंस पहले भी इजिप्ट लीबिया सीरिया इत्यादि जगहों पर तैनात रहे थे इसलिए उन्हें अरबी बहुत अच्छी तरह आती थी फिर उन्होंने मक्का के गवर्नर और सऊदी अरब के दो बड़े कबीले यानी सऊद कबीला और वहाब कबीला को तुर्की के खलीफा के खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार कर लिया ।

फिर एक भीषण लड़ाई हुई। लॉरेंस ने सऊदी कबीलों के साथ मिलकर हेजाज़ रेलवे को उड़ा दिया।

तुर्की की सेना परास्त हो गई और सऊदी अरब एक आजाद देश बना।

उसके बाद अंग्रेज सऊदी अरब को छोड़कर चले गए क्योंकि उस वक्त सऊदी अरब में तेल नहीं था, बेहद गरीबी थी अंग्रेजो को लगा कि ऐसी वीरान रेगिस्तान को लेकर क्या फायदा?

फिर 3 दशकों तक सऊदी अरब के सभी कबीले आपस में लड़ते रहे कि सऊदी अरब पर कौन राज करेगा ?

उसी दरमियान 1950 के आसपास सऊदी अरब में कच्चे तेल के भंडार मिले। सऊदी अरब के दोनों ताकतवर कबीले यानी सऊद कबीला और बहाव कबीला के बीच में एक समझौता हो गया उस समझौते के अनुसार सऊद कबीला सऊदी अरब पर राज करेगा शासक बनेगा और वहाब कबीला पूरी दुनिया में इस्लाम फैलाने के लिए काम करेगा और मक्का और मदीना तथा सऊदी अरब का पूरा इस्लामिक विभाग बहाव कबीले के पास रहेगा।

इस समझौते के तहत सऊद परिवार को प्रति बैरल 40% हिस्सा बहाव कबीले को देना होगा और वहाब कबीला उस पैसे में से पूरी दुनिया में मस्जिदे बनाएगा और कट्टर इस्लाम यानी वहाबी विचार का प्रसार करेगा।

और फिर तेल के पैसों से ही सऊदी अरब ने पूरी दुनिया में लाखों मस्जिदे बनवा दी यहां तक कि जब जर्मनी में शरणार्थी भूख से मर रहे थे तब सऊदी अरब के धार्मिक मंत्रालय ने यह कहा कि हम शरणार्थियों को खाने पीने से तो मदद नहीं कर सकते यदि वह नमाज पढ़ना चाहे तो हम उनके लिए एक भव्य मस्जिद बना सकते हैं।

इतना ही नहीं पाकिस्तान में भी उन्होंने दूसरी कोई मदद ना करके एक बेहद विशाल मस्जिद बनाई यह मस्जिद साठ के दशक में 3 बिलीयन डालर की लागत से बनी थी जिसे किंग फैसल मस्जिद कहते हैं।

नेपाल जहां कोई मस्जिद नहीं थी वहां सऊदी अरब अपने पैसों से इस्लाम फैलाया और हजारों मस्जिदे बना दी।

सऊदी अरब ने दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश के शरणार्थियों को अपने यहां शरण नहीं दिया। उसके ठीक बगल में सीरिया में हजारों लोग मरते रहे लेकिन सऊदी अरब ने एक भी शरणार्थी को अपने यहां शरण नहीं दिया वर्मा से कई बार रोहिंग्या नाव में बैठकर इस उम्मीद में सऊदी अरब गए कि सऊदी अरब तो इस्लाम की भूमि है वह हमारे ऊपर दया करके शरण देगा लेकिन सऊदी अरब की सेना ने फायरिंग करके उन्हें भगा दिया।  वह वीडियो अल जजीरा पर आया था। समुंदर में बीच में फंसे रोहिंग्या जिसमें से कई भूख से मर गए थे। फिर श्रीलंका की नेवी ने उनके ऊपर दया करके हेलीकॉप्टर से पानी की बोतल और बिस्किट के पैकेट गिराए थे ।

लेबनान में जब गृह युद्ध हुआ तब कुछ लेबनानी सऊदी अरब में शरण के लिए गए थे। उन्हें बॉर्डर से ही भगा दिया गया था।  2 लोगों के पैरों में गोली मार दी गई थी। 70 के दशक में यह पूरी दुनिया की हेड लाइन बनी थी। फिर सऊदी अरब ने बहुत बेशर्मी से कहा उसके देश में शरण देने का कोई नियम नहीं है। सऊदी अरब किसी भी देश के लोगों को अपने यहाँ शरण नहीं दे सकता भले ही वह मुस्लिम क्यों ना हो।  सऊदी अरब की नागरिकता किसी विदेशी को नहीं दी जा सकती।

क्रूड के दम पर सऊदी अरब ने पूरे दुनिया के लालची मौलवियों को पैसे देकर मस्जिदें बनवाई लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि सऊदी अरब में ही क्रूड की गिरती कीमतों से ना सिर्फ सऊद परिवार और बहाव परिवार में झगड़ा शुरू हो गया है बल्कि सऊदी अरब के राजपरिवार में ही आपस में विवाद शुरू हो गया है।

सऊदी के पहले राजा ने 8 शादियां की थी। उसके बाद दूसरे राजा ने 12 शादियां किया था इस तरह से सऊदी अरब में दो हजार से ज्यादा लोगों का राज परिवार है। और राज परिवार का हर सदस्य सऊदी अरब का राजा बनना चाहता है।

अब देखिए क्रूड की कीमतें एकदम नीचे आ गई हैं उधर रूस ने भी प्राइस वार छेड़ दिया है अब इस्लाम का क्या होगा क्योंकि बहुत पहले एक ब्रिटिश पत्रकार ने लिखा था कि जब तक जमीन के नीचे क्रूड है तब तक जमीन के ऊपर इस्लाम है।

सादर आभार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ

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