कोरोना प्रलयकाल में विश्व मित्र परिवार निभा रहा समाजिक दायित्व

 

मयंक चतुर्वेदी
(कानपुर) इस कोरोना काल में भारत सहित विश्व के बहुत सारे देशों की अर्थव्यवस्था मानो ठप सी हो गई है। जिस कारण अति लघु आय वाले व्यक्ति के लिए उनकी मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा का इंतजाम भी करना बहुत मुश्किल हो रहा है। मकान की तो बात ही अलग है। जहां तक की कुछ लोग दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पा रहे हैं। इस संकटकाल में कुछ लोगों की जीवन यापन करने की मूल आवश्यकता भोजन की व्यवस्था विश्व मित्र परिवार द्वारा की गयी है। लगभग 8500 मास्क बांटे जा चुके है। समाचार व वीडियो के माध्यम से लोगो को धैर्यपूर्वक लॉकडाऊन, घर से काम व कार्यशैली के बारे में समझाया जा रहा है।
संस्था के संस्थापक गुरुजी भू बताते हैं कि हमारी संस्था पिछले 24 वर्षों से समाज सेवा, जैविक कृषि, प्राकृतिक चिकित्सा, प्राकृतिक कृषि, प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्य समाज की भलाई के लिए निरंतर करती आ रही हैं। संस्था में हमारे सहयोगियों अध्यक्ष मार्कण्डेय राय, महासचिव -भावना त्यागी, संयुक्त सचिव -आशीष गुप्ता के महत्वपूर्ण सहयोग से यह संस्था लगातार समाज सेवा का कार्य कर रही है। आगे भी इसी तरह करती रहेगी।
श्री गुरुजी भू ने बताया कि हम सभी देशवासियों से प्रार्थना करते है कि अपना ध्यान रखे, स्वस्थ रहे, सरकारी आदेशों का पालन करें। घर में ही रहकर योग, प्राणायाम्, व्यायाम अवश्य करें। उन्होंने कहा कि कि ये प्रलयकाल है, हमें किसी भी हाल में घबराने की आवश्यकता नही है। ये समय बीतेगा तो नये अवसर आयेगें। जैसे हर अधेरी रात के बाद प्रातःकाल में प्रकाश फैलता है वैसे ही अव जीवनशैली में कुछ स्थाई परिवर्तन आने ही है। हम नये युग की ओर बढ रहे है।
विश्व मित्र परिवार की कानपुर ईकाई ने संकट के इस समय में अपनी भरपूर सेवा दी है। कानपुर से हमारी महिला परिवार की टोली रंजीता सिंह , अर्चना कमल, ममता, अनीता सिंह , शशी शर्मा साधना सिंह , करुणा सिंह , वंदना सिंह ने सेवा कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लिया है।

 

*विश्व मित्र परिवार के संस्थापक श्री गुरुजी के अनुसार ये प्रलय काल है, अब नए युग का आरंभ होगा।*

कोरोना प्रलयकाल के उपरान्त पूरे विश्व में नये परिवर्तन दिखाई देगें। हमारे देश को भी अनेकों चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ठीक उसी तरीके से सारा विश्व आज चुनौतियों से घिरा है। इसमें बहुत सारे काम बंद हो जाएंगे। बहुत सारे काम अधिक बढ़ जाएंगे। कुछ काम पिछड़ जाएंगे। कुछ नए कामों की शुरुआत होगी। नए विचारों की शुरुआत होगी। नए तरीकों की शुरुआत होगी। गांव का विकास होना संभव है क्योंकि अब अधिकतम लोग अपने गांवों की ओर लौट चलें हैं।

*उजडे गांव पुनः बसाने, समृद्ध बनाने, हाईटेक गांव का समय है।*
अब उजड़े हुए गांवों को बसाने का समय आ गया है। आज की चुनौती है कि हम अपने गांव को आत्मनिर्भर बनाकर अपने देश को आत्मनिर्भर बनाये। यही इस चुनौती का सही मुकाबला होगा। हम उस दिशा में अभी से बढ़ जाएं। सहकारिता की तरफ बढ़ जाए। अपने गांवों को उन्नत बनाने की तरफ बढ़ जाए। गांव में अपनी आवश्यकताओं का सब कुछ पैदा किया जा सकता है। गांव को आदर्श गांव बनाया जा सकता है। स्मार्ट गांव बनाया जा सकता है। यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। इसी से हमारे देश में आत्मनिर्भरता आएगी। हमारे गांव आत्मनिर्भर होंगे। हमारा देश आत्मनिर्भर होगा। उद्योगों में ऑटोमेशन होना स्वाभाविक है। जो श्रमिक, मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, उनको वही अपना काम देखना, खोजना पड़ेगा। सब कुछ और वही अपने साधन जुटाने पड़ेंगे, काम करना पड़ेगा। जो लोग गांव लौट गये है, उनमें से लगभग 60% लोग वापस नगरों में नहीं आएंगे। विदेशों में रहने वाले लोग अपने देश की तरफ आ रहे हैं। विदेश में रहने वाले अपने देश और महानगरों में रहने वाले लोग अपने गांव की तरफ जा रहे हैं। यही इस युग परिवर्तन का प्रथम चरण है।

*चुनौतीपूर्ण समय*

इसको संभालने के लिए अभी से हमें उन चुनौतियों को देखना, समझना पड़ेगा। समझकर उनका समाधान खोजना पड़ेगा। हम जब यह तालाबन्दी खुले तो हम अपने चुनौती का समाधान हमारे पास होना चाहिए। इसलिए सभी को अपनी अपनी चुनौती आज स्वीकार कर लेनी चाहिए। अपने अपने काम आज तलाश कर लेने चाहिए। अपने हिस्से की भूमिका निभानी है। इसके बाद हम कैसे खड़े रह पाएंगे? कैसे जीवित रह पाएंगे? कैसे अपने साधन उन्नतशील करेगें? सब आवश्यक है। आज इसको सोचना पड़ेगा, यही हमारी जीत होगी। हमारे देश की जीत होगी। भारत पुन: विश्व गुरु की भूमिका में दिखाई देगा।
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