सांई (चांद मियां) षडयंत्र का एक ओर एतिहासिक खुलासा

साई सतचरित्र का पुरी गहनता से अध्ययन करने के बाद ही मेने ये पोस्ट तैयार की है जो साई बाबा के जीवन चरित्र को दर्शाती है । सभी से निवेदन है पोस्ट को पुरा पढे व शेयर करे ।

#अमित_आर्य

साई सतचरित्र साई ने ही अपने जीवित रहते अपने भक्त गोविंद रघुनाथ दाभोलकर से लिखवाई थी शिरडी साई ट्रस्ट इस पुस्तक को प्रकाशित करता है ।
साई बाबा के जीवन के इन कारनामो को पढकर क्या साई भक्त इसे भगवान मानेगे ??
*क्या ऐसे यवन मुस्लिम साई को आप अपने मंदिरों में बिठा कर मंदिरों को भ्रष्ट करेगे ??
1. साई सतचरित्र के अध्याय 1 अनुसार साई महिलाओं को गालियां भी देते थे अपशब्द कहते थे (पेज नंबर 3)

2. साई नर्तकियों का नृत्य देखते गजल कवालिया सुनते थे अल्लाह सदा उनके होठो पर रहता था (साई सतचरित्र अध्याय 4 पेज नंबर 22)

3. साई कुशती मे मोहीउद्दीन तम्बोली से हार गये थे । साई अपने भक्तो से कहते थे गरीब अव्वल बादशाही अमीरी से लाख सवाई गरीबो का अल्लाह भाई। साई पैरों मे घुंघरू बांधकर डांस भी करते थे।
( साईं सतचरित्र अध्याय 5 पृष्ठ – 36,37)

4. एक बार जब श्री राम का कीर्तन हो रहा था तब सभी जय राजाराम के जयकारे उच्च स्वर मे लगा रहे थे व एक दुसरे को गुलाल लगा रहे थे तभी गुलाल का कण साई बाबा की आखों मे चला गया जिसके बाद साई एकदम गुस्सा होकर सभी को अपशब्द कहने लगे गालिया देने लगे व उनको कोसने लगे इसी प्रकार मस्जिद के जीर्णोद्धार के समय किसी बात को लेकर अपने भक्तो पर गुस्सा हो गये आँखे क्रोध से लाल हो गयी अपने एक भक्त का साफा उतारके उसमे आग लगादी एक भक्त माधवराव पर इट पथर फेकने लगे ।
(साई सतचरित्र अध्याय 6 पृष्ठ- 46-49)

5. फकीरो के साथ आमिष व मछली का सेवन भी करते थे यानि की साई मांसहारी थे।
(साई सतचरित्र अध्याय 7 पृष्ठ 51)

6. साई अपने भक्तो को गालियां भी देते थे व पथर भी मारते थे । कभी कभी पूजन की थाली भी फेक देते थे।
(साईं सतचरित्र अध्याय 10 पृष्ठ-77,85)

7. मैं मस्जिद में एक बकरा हलाल करने वाला हूँ। बाबा ने शामा से कहा हाजी से पुछो उसे क्या रुचिकर होगा – “बकरे का मांस, नाध या अंडकोष ?”
-अध्याय 11 पृष्ठ- 86
8. जो भी साई के दर्शन करने आता था उनसे साई पैसै रूपी दक्षिणा भी स्वयं ही मांगते थे इस दक्षिणा के पैसै से वो बीडी व चिलम तम्बाकू पीते थे।
(साई सतचरित्र अध्याय 14 पृष्ठ-106)

9. एक बार साई ने अपने शयन कक्ष मे सांप को देखा जो फन हिला रहा था और साई ने तुरंत अब्दूल से बत्ती मंगवाई ओर वो सांप को मरवा डाला (साई मे सचमुच शक्ति थी तो सांप से क्यो डरते थे)
अध्याय 22 पृष्ठ 155

10. वीरभद्र नाम के ब्राह्मण को गाली देना
एक बार वीरभद्र नामक ब्राह्मण साई के दर्शन के लिए मस्जिद गया तब बाबा ने उन्हे दूर से आते देखा तो वो झिडकने लगे व गाली देने लगे और क्रोधित होकर बोले “अरे, ओ नादान कृतघ्न बम्मन ऊपर मत चढ सावधान यदि ऐसा किया तो दूर हट चल दूर हट”
( साई सतचरित्र अध्याय 23 पृष्ठ-151)

11. मस्जिद मेँ एक बकरा बलि देने के लिए लाया गया। वह अत्यन्त दुर्बल और मरने वाला था। बाबा ने उनसे चाकू लाकर बकरा को हलाल कर के काटा ।अध्याय 23. पृष्ठ 161.

12. महिला भक्तो से मालिश करवाते थे अध्याय 24 पृष्ठ 169

13 साई जब कफ से पीडित थे तो शामा से बोले मुझे किसी की नजर लगी है । (जब बीडी तम्बाकू चिलम पीयेगा तो कफ तो होनी ही थी मियां साहब को)
अध्याय 28 पृष्ठ 195

14. साई बाबा खुद स्वीकार करते है वो मुस्लिम है ।
एक बार जब मेघा नामक ब्राह्मण साई के दर्शन को आया तो क्रोधित होकर अपने भक्तो से बोला इसे बाहर निकाल दो मस्जिद से ये एक उच्च कुलीन ब्राह्मण है और मे एक निम्न जाति का यवन ।
साई सतचरित्र अध्याय 28 पृष्ठ 197

15 साई बाबा सन्यासियो को भी अपशब्द कहते थे यानि गाली देते थे।
अध्याय 31 पृष्ठ 217

16. साई अपने भक्त शामा की गाल पर kiss अर्थात चुम्बन करते है जब साई ने शामा के गाल पर चुम्बन किया तो शामा क्रोधित होकर बोले देवा ये आपके लिए उचित नही है मुझे ऐसे शरारती देव की आवश्यकता नही है जो इस प्रकार का गलत आचरण करे

साई सतचरित्र अध्याय 36 पृष्ठ 261

17. साई खुद तो चीलम तम्बाकू पीते ही थे साथ मे अपने भक्तो को भी पिलाते थे
साई सतचरित्र अध्याय 37 पृष्ठ 267

18 . कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल अर्थात् नमकीन पुलाव और मोलवी से फातिहा पढवाकर मांस मिश्रित प्रसाद बांटते थे। अध्याय 38 पृष्ठ 270

19. देवसाहब जब साई के दर्शन करने मस्जिद आऐ थे साई ने उससे पहले 20 रू दक्षिणा मांगी फिर दुसरे दिन फिर 20 रूपये दक्षिणा मांगी तीसरी बार फिर 24 रू मांगे। इतने पैसै मांगने के बावजूद भी साई ने देवासाहब पर चोरी के आरोप लगाऐ व उसे बुरी तरह से गालियां देने लगे व डांटने लगे
अध्याय 41 पृष्ठ 294

20 तभी एक गडेरिन आई और बाबा की कमर दबाने लगी ।
(कभी किसी स्त्री से पेट की मालिश करवाता था कभी किसी से कमर दबवाता था ये आदमी था या गमचक्कर ??)
अध्याय 48 पृष्ठ 337

21. 28 सितम्बर सन 1918 को साधारण सा बुखार आया यह बुखार 3 दिन तक रहा । जिसके कारण भोजन त्याग दिया 17 दिनो के पश्चात 15 अक्तबर सन 1918 को 2 बजकर 30 मिनट पर साई मर गये व उनको इस्लामिक रीति रिवाजो के हिसाब से दफनाया गया जहाँ आज साई का मन्दिर है उसी स्थान पर उसकी कब्र है । कब्र के ऊपर ही मंदिर स्थापित किया गया है ।

इस लेख को पढ़कर कैसे कोई साईं बाबा को भगवान मान सकता है?
ऊपर लिखे एक भी तथ्य को कोई भी साई भक्त झूठा साबित नही कर सकता । पाठक स्वयं आत्मचिंतन कर निर्णय ले। क्या ऐसे बाबा को भगवान मानोगे जो मांस मीट खाता हो महिलाओ को सन्यासियो को अपने खुद के भक्तो को गाली देता हो उन्हे पथर भी मारता हो जो प्रसाद भी मांस मिश्रित बांटता हो ।

#ईश्वरीय_वाणी_वेदों_के_अनुसार
“ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान्, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वार्न्त्यार्मी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। उसी की उपासना करनी योग्य है।”

पाखण्ड का नाश हो
प्राणियों में सदभावना हो
विश्व का कल्याण हो
🙏🏻जय आर्य_जय आर्यावर्त🙏🏻
🕉️जय सत्य सनातन धर्म

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