भारतीय ज्ञान विज्ञान अद्भुत है – गुरुजी भू

*भारतीय ज्ञान* 🎸

1958 में साउथ कैलिफोर्निया (लॉस एंजेल्स) में एक भारतीय संगीत वादय् यंत्रों (म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स) की एक बहुत फेमस दूकान हुआ करती थी..
वो एक अकेली दूकान थी जो पूरे अमेरिका में प्रामाणिक भारतीय वादय् यंत्रों को बेचती थी।
डेविड बर्नार्ड इसके मालिक थे।

एक दिन एक 36 वर्षीय भारतीय नौजवान इस दूकान में आया और वादय् यंत्रों को बड़े ध्यान से देखने लगा..
साधारण वेशभूषा वाला वो आदमी वहां के सेल्स के लोगों को कुछ ख़ास आकर्षित नहीं कर सका था मगर फिर भी एक सेल्स गर्ल ‘क्रिस्टिना’ उसके पास आ कर बनावटी मुस्कान से बोली कि
“मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ?”

उस नौजवान ने सितार देखने की मांग की और क्रिस्टिना ने उसको सितारों के संग्रह दिखाए..
मगर उस व्यक्ति को सारे सितार छोड़ कर एक ख़ास सितार पसंद आया और उसे देखने की ज़िद की.. चूँकि वो बहुत ऊपर रखा था और शोकेस में था इसलिए उसको उतारना मुश्किल था..
तब तक ‘डेविड’ जो की दूकान के मालिक थे वो भी अपने केबिन से निकालकर आ गए थे, क्योंकि आज तक किसी ने उस सितार को देखने की ज़िद नहीं की थी..
बहरहाल सितार उतारा गया तो क्रिस्टिना शेखी बघारते हुए बोली..
“इसे बॉस सितार कहा जाता है और आम सितार वादक इसे नहीं बजा सकता है ये बहुत बड़े बड़े शो में इस्तेमाल होता है”

वो भारतीय बोला “आप इसे बॉस सितार कहते हैं मगर हम इसे ‘सुरबहार सितार’ के नाम से जानते हैं.. क्या मैं इसे बजा कर देख सकता हूँ ???”

अब तक तो सारी दूकान के लोग वहां इकठ्ठा हो चुके थे..खैर.. डेविड ने इजाज़त दी बजाने की और फिर उस भारतीय ने थोड़ी देर तार कसे और फिर सुर मिल जाने पर वो उन्हें अपने घुटनो पर ले कर बैठ गया..
और फिर उसने राग “खमज” बजाया ..
उसका वो राग बजाना था कि सारे लोग वहां जैसे किसी दूसरी दुनिया में चले गए..
किसी को समय और स्थान का कोई होश न रहा..
जैसे सब कुछ थम गया वहां..
जब राग खत्म हुआ तो वहां ऐसा सन्नाटा छा चूका था जैसे तूफ़ान के जाने के बाद होता है..
लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि वो ताली बजायें या कि मौन रहें..

डेविड इतने अधिक भावुक हो गए कि उस भारतीय से बोले कि
“आखिर कौन हो तुम………
मैंने श्री रवि शंकर जी को सुना है और उन जैसा सितार कोई नहीं बजाता है, मगर तुम उन से कहीं से कम नहीं हो..
मैं आज धन्य हो गया कि आप मेरी दूकान पर आये..
बताईये मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ????”
..
उस व्यक्ति ने वो सितार खरीदने के लिए कहा मगर डेविड ने कहा इसको मेरी तरफ से उपहार के तौर पर लीजिये..
क्योंकि इस सितार का कोई मोल नहीं था ये अनमोल था और इसे मैं बेच नहीं सकता..
..
क्रिस्टिना जो अब तक रो रही थी उन्होंने उस भारतीय को चूमा और एक डॉलर का नोट देते हुए कहा कि
“मैं भारतियों को कम आंकती थी और अपने लोगों पर ही गर्व करती थी..
आप दुकान पर आये तो भी मैंने बुझे मन से आपको सितार दिखाया था..
मगर आपने मुझे अचंभित कर दिया..
फिर पता नहीं आपसे कभी मुलाक़ात हो या न हो इसलिए मेरे लिए इस पर कुछ लिखिए”
..
उस व्यक्ति ने क्रिस्टिना की तारीफ करते हुए अंत में नोट पर अपना नाम लिखा “सलिल चौधरी”
..
उसी वर्ष सलिल चौधरी ने अपनी एक फ़िल्म के लिए उसी सुरबहार सितार का उपयोग करके एक बहुत प्रसिद्ध बंगाली गाना बनाया जो राग खमज पर आधारित था..
बाद में यही गाना हिंदी में बना जिसको स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने गाया था ..
गाने के बोल थे
..
“ओ सजना.. बरखा बहार आई..
रस की फुहार लायी.. अखियों में प्यार लायी” (परख – 1959)
..
🙏 साथियों, हम भारतियों के पास बड़ी अनमोल धरोहरें हैं, लोगों को प्रभावित करने के लिए……
हम ये सब छोड़कर जाने किस दिशा में निकल चुके हैं आज ????

जो असल गौरव है हमारा वो तो हम कहीं भूले जा रहे हैं

क्या आने वाली पीढ़ी हमें हमारा खोया हुआ गौरव वापिस लौटा पाएगी..??

अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव🙏🙏

 

साभार

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