कुछ लोगों का मानना है कि एम्स जैसे अत्याधुनिक अस्पताल नेहरू ने बनवाए यह सर्वथा गलत है आज हम इसका विश्लेषण करेंगे। हर कांग्रेसी यह जरूर कहता है एम्स तो नेहरू ने बनवाया था जब भी अमित शाह एम्स में या बीजेपी का कोई नेता एम्स में भर्ती होता है तब कांग्रेसी यह तंज जरूर करते हैं कि नेहरू के बनवाए अस्पताल में भर्ती हुए। जबकि वो देश की सम्पत्ति है ना कि नेहरू की।
सच्चाई पढ़ कर ही समझ आयेगा
एम्स की स्थापना में नेहरू का कोई भी योगदान नहीं था। एम्स राजकुमारी अमृत कौर अहलूवालिया ने बनवाया था। जो कपूरथला राज परिवार से थी।
कपूरथला राज परिवार की राजकुमारी अमृत कौर अहलूवालिया लंदन में पढ़ाई के दौरान ही ईसाई मिशनरियों के संपर्क में आने से कैथोलिक बन गई थी। ईसाई मिशनरियों के षड़यंत्र में बहुत से लोग फंसाए जाते थे वह षड्यंत्र आज भी जारी है और इस तरह के संयंत्रों में लोग तब भी फंसाए गए 2000 वर्षों से यह षड्यंत्र जोरदार तरीके से चल रहा है आज भी भारत में भारत सहित अन्य बहुत से देशों में यह षड्यंत्र जारी है कृप्तों मिशनरी या क्रिप्टो क्रिश्चियन मिशनरी या यह बहुत ही घिनौना खेल खेल रही हैं उसी षड्यंत्र में राजकुमारी अमृता कौर अहलूवालिया को भी फंसा लिया गया था। लेकिन उस समय जलियांवाला बाग हत्याकांड में इनके मन में अंग्रेजों के प्रति घृणा पैदा हो गयी थी। तदुपरांत वो देश की स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ गई। यह 17 सालों तक महात्मा गांधी की निजी सचिव थी।
देश की आजादी के बाद यह भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी थी। इन्होंने जब नेहरू के सामने एक ऐसा हॉस्पिटल बनाने का प्रस्ताव रखा जो बेहद बेजोड़ हो तब नेहरू ने फंड की कमी का हवाला देकर मना कर दिया।
क्योंकि राजकुमारी अमृत कौर ईसाई मिशनरियों से जुड़ी थी और खुद कैथोलिक थी। लंदन जर्मनी और ऑस्ट्रिया में रही थी। इसलिए उन्होंने लंदन, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से पैसों की व्यवस्था कर दी। अपने निरंतर अथक प्रयासों से उन्होंने भिन्न-भिन्न एजेंसियों, भिन्न-भिन्न देशों और अलग-अलग कंपनियों, व्यक्तियों से संपर्क करके बहुत सारे साधनों की व्यवस्था की। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी 100 एकड़ पैतृक जमीन भी बेच दी और इस तरह एम्स का निर्माण हुआ।
बाद में उन्होंने अपना मनाली और शिमला का आलीशान बंगला भी एम्स को दान कर दिया ताकि एम्स में काम करने वाले डॉक्टर और नर्स छुट्टियां मनाने के लिए वहां रुक सके।
इस पहल के उपरांत कई भारतीय लोगों ने भारत के दिल्ली में बनने वाले एम्स के लिए बढ़-चढ़कर सहयोग दिया था। भारतीयों ने भी उस में बहुत सहयोग दिया और लोग आज भी सोचते हैं कि यह नेहरू की देन है जबकि यह राजकुमारी अमृत कौर अहलूवालिया के अथक प्रयासों से बन पाया था। यही सोच बदलनी होगी। जिन्होंने उसकी नींव रखी, जिन्होंने इतना बड़ा विचार किया, जिन्होंने उसे सार्थक करने में अपनी निजी संपत्ति दे दी उनका कहीं नाम तक नहीं है। इसलिए आज हम यह खुलासा कर रहे हैं।