हाइब्रिड सरसों के तेल का विरोध क्यों, क्या इसको खाने से है कोई नुकसान?

हाइब्रिड सरसों के तेल का विरोध क्यों हो रहा है ? क्या इसके खाने से कुछ नुकसान हो सकता है? जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) ने जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों प्लांट की व्यवसायिक खेती को मंजूरी दे दी है। हालांकि उनकी इस मंजूरी से किसान समूह नाखुश हैं और उन्होंने कमेटी के फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। किसानों का मानना है कि जीएम यानी हाइब्रिड सरसों तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

तकनीक का इस्तेमाल कर किसी जीव या पौधों के जीन को दूसरे पौधों में डाल कर फसल की एक नई प्रजाति विकसित की जाती है। पौधों के जीन में बदलाव बायोटेक्नॉलजी और बायो इंजीनियरिंग की मदद से की जाती है। सबसे पहले इस तरीके की तकनीक का इस्तेमाल 1982 में किया गया था।

जीएम सरसों के तेल की खेती का विरोध करने का एक कारण ये भी है कि इस तेल की खेती को लेकर अब तक इस तरफ का कोई रिसर्च नहीं किया गया है। किसानों के पास इस खेती को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है कि आखिर इसे लगाने का सही तरीका और सही मौसम कौन सा है। ऐसे में अगर क्रॉप फेल्योर होगा तो इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR द्वारा तीन सालों तक किए गए रिसर्च के अनुसार  DMH-11 की उपज वरुणा से 28 प्रतिशत ज्यादा पाई गई है। इसके अलावा क्षेत्रीय जांच या स्थानीय किस्मों की तुलना में 37 प्रतिशत बेहतर है। जो विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।

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