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चैत्र नवरात्र 2019

चैत्र नवरात्र 2019 नवरात्रि हिन्दू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है जिसे सभी क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है। वैसे तो साल में चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में नवरात्रि आती है लेकिन...

कश्मीर समस्या नेहरू की देन- मनोहर लाल खटटर

  कश्मीर समस्या नेहरू की देन- मनोहर लाल खटटर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हिसार जिले के कैमरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को एक ‘‘ढकोसला पत्र’’ बताया और विपक्षी पार्टी के अफस्पा की समीक्षा करने के वादे पर सवाल उठाया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कांग्रेस पर सशस्त्र बल (विशेषाधिकार)...

सफाई कर्मचारियों की बद से बदतर स्थिती के लिए केजरीवाल जिम्मेदार है-मनोज तिवारी

 केजरीवाल सरकार के लिए सस्ती हो रही है सफाई कर्मचारियों की जिन्दगी, सफाई कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर की सफाई करने को मजबूर है। आये दिन सफाई कर्मचारियों का जहरीली गैस की चपेट में आने से दम तोड़ रही जिंदगियां लेकिन सरकार नहीं दे रही कोई ध्यान। एक विडियों वायरल हुआ है जिसमें सफाईकर्मी बिना किसी सुरक्षा उपकरणों...

आचरण से वामपंथी और भाषणो में लोकतांत्रिक – किशोर बड़थ्वाल

आपको लगता है कि ममता बनर्जी के शासन संभालने के बाद बंगाल में वामपंथी शासन समाप्त हो गया था? यही बात अखिलेश शासन काल के लिये सोच कर देखिये,क्या वह एक लोकतांत्रिक दल होने के नाते समाजवादी विचारधारा पर काम कर रहा था? यही बात मध्य प्रदेश और राजस्थान की नई सरकार के बारे में विचार कर के देखें, क्या वोगांधी जी या शास्त्री जी वाली कांग्रेस की किसी भी विचारधारा से मेल खाते हुए शासन कर रहे हैं? कर्नाटक सरकार का शासन लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हुए शासन चला रहाहै?  इन सब पर विचार करें तो यही आभास होता है कि लोकतांत्रिक दल होने के बाद भी इनकी कार्यशैली में वामपंथ ने तेजी से पैर पसार लिये हैं।        लोकतंत्र का विलाप करने वाले अक्सर ‘जनता का, जनता के लिये, जनता के द्वारा’ का नारा लगाते हैं, क्या पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश की सत्ता केनिर्णयों में इस सद्वाक्य का कोई भी आभास लगता है? वामपंथ का ध्येय सूत्र ‘सरकार ही सब कुछ’ के अनुसार चलने वाली सत्ता का तो समझ आता है कि यह उनकी विचारधारा है,और वो लोकतंत्र में चुनकर आने के बाद अपनी विचारधारा से ही शासन चलायेंगे, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों पर दिन रात ढिंढोरा पीटने वाली पार्टियां अपने लोकतांत्रिक दायित्वों कोकैसे वामपंथी विचारधारा से चलाती हैं, यह समझ से परे है।             दल के रूप में वामपंथ का पतन भी हुआ है और आकार भी घटा है, लेकिन आचरण और व्यवहार के रूप में स्वतंत्रता के बाद से ही इसने अनेकों लोकतांत्रिक दलों मेंसंक्रमण कर लिया था। जो काम पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार सत्ता में आने के बाद 34 वर्षों तक करती रही, उस आचरण को स्वतंत्रता के बाद से ही कांग्रेस ने अपने आचरण मेंउतार लिया था। सत्ता में किसी भी प्रकार से आने के लिये विरोधियों को कुचलना, प्रशासन में अपने लोग भर देना, किसी भी वैचारिक विरोधी की हत्या कर देना, अपने से इतर किसीभी विचार को पनपने ना देना, जनता की आस्था श्रद्धा से जुड़े विषयों से भयभीत होना, अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिये माओवाद को गुप्त रूप से पनपने देना और सहायताकरना यह वामपंथ के शासन काल में होता आया है और यह उनके द्वारा शासित राज्यों में होने वाली घटनाओं में दिखता भी है।          कांग्रेस ने यह आचरण 50 के दशक से ही दिखाना शुरु कर दिया था, संस्थाओं में योग्यता ना होते हुए भी अपने लोगों को भरा गया, इतिहास को विकृत करने के लियेपश्चिम की दृष्टि से प्रभावित लोगों से इतिहास बनवाया गया जिसमे भारतीय दृष्टिकोण की नितांत कमी रही, जिनसे भी देश की श्रद्धा आस्था में बढोत्तरी हो, ऐसी प्रत्येक संस्कृति याउससे जुड़ी चीजों को उठने नही दिया गया, गौरक्षा आंदोलन को असफल करने के लिये संसद भवन के पास भी संतों पर गोलियां चलवाने में गुरेज नही किया गया। पंडित दीनदयालउपाध्याय जी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, एल.एन. मिश्रा जैसे व्यक्ति जो चुनौती देते दिखे, उनकी संदिग्ध मृत्यु हो गयी।           इस देश की विशेषता है कि तमाम दुश्वारियों के बाद भी इसने 800 वर्षों तक संघर्ष कर स्वयं को जीवित रखा है। इसी विशेषता के कारण कांग्रेस के छल प्रपंच 70 केदशक तक आते आते लोगों को समझ आ गये थे, लेकिन विचारधारा से लोकतांत्रिक और आचरण से पूर्णतया वामपंथी हो चुकी इंदिरा सरकार ने अपने को पूर्ण शक्तिशाली बनाने केलिये आपातकाल लगाया। वामपंथी हो चुकी कांग्रेस के विरोध में नये नये नेता लोकतंत्र की तख्ती लेकर सड़कों पर निकल आये। आपातकाल के विरुद्ध हुआ आंदोलन एक मंथन थाजिसमें लालू, मुलायम जैसे विष भी निकले। अपनी गलत नीतियों और कर्मों से गांधी परिवार के दो प्रधानमंत्रियों की हत्या हुई तो उसके भावुक पक्ष का लाभ लेकर कांग्रेस को कुछसाल और ऑक्सीजन मिल गयी। अपने आचरण में सभी प्रकार की बुराईयों से लैस कांग्रेस ने नेता तो पैदा किये, लेकिन योग्यता उनमे कैसे आये, इसकी कोई प्रक्रिया उस पूरी पार्टी मेंनही थी। शासन चलाने का अर्थ सिर्फ सत्ता में बने रहना और अगला चुनाव जीतना तक सीमित था। नरसिंहाराव योग्य थे लेकिन उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया गया येसबने देखा। कांग्रेस के डांवाडोल होने का लाभ लालू, मुलायम, शरद यादव जैसे नेताओं को भी मिला, और उन्होंने भी राज्यों में सत्ता हथिया ली।           लोकतंत्र और समाजवाद के नाम पर आयी ये नयी खेप ने आते ही अपने आचरण में वामपंथी नीति ही अपनाई। अपने लोगों को शासन में भरना, गुंडों का संरक्षणकरना, आस्था श्रद्धा से जुड़ी किसी भी चीज को समाज में उभरने ना देना, भजन और कीर्तन तक पर रोक लगा देना, तुष्टीकरण के लिये सीमायें लांघ देना, और समाज के विघटन केलिये किसी भी हद तक चले जाना इनका शासन करने का तरीका रहा।            इन सबसे परे एक और दल था जो लोकतंत्र के लिये कार्य करता रहा, और देशहित में लोकतांत्रिक मूल्यों पर सत्ता चलाता रहा। इस दल की विशेषता रही कि इसके पासयोग्य नेता थे, और इसके पास एक प्रक्रिया थी जिसके द्वारा यह भविष्य के नेता तैयार करता था। और आज जब भाजपा ने सत्ता में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित किया है तो उसकाभय वामपंथी दलों के साथ वामपंथी आचरण वाले दलों में समा रहा है, जिसका परिणाम गठबंधन के रूप में आ रहा है। इस गठबंधन में वैचारिक दृष्टिकोण समान नही है, लेकिनआचरण के रूप में यह सब वामपंथी ही हैं, जो लोकतंत्र के स्थान पर उसी परंपरा पर शासन करने के आदी हैं जिसके अनुसार बंगाल, मध्यप्रदेश और केरल में दूसरे दलों केकार्यकर्ताओं की हत्यायें हो रही हैं, जिसके कारण उत्तर प्रदेश में भर्तियों में जमकर धांधली कर अपने लोग भरे गये थे, जिसके कारण बंगाल में दुर्गा पूजा और उत्तर प्रदेश में भजनकीर्तन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, और जिसके कारण केरल में सबरीमाला में जबरदस्ती प्रवेश किया जा रहा है।                       2019 का चुनाव देश का भविष्य तय करेगा, यह तय करेगा कि लोकतंत्र का मुखौटा डाले वामपंथी आचरण वाले माओवादी सरकार में आयें या फिर लोकतांत्रिकमूल्यों की सुरक्षा करते हुई ‘जनता की, जनता के द्वारा, जनता के लिये’ वाली सरकार शासन करे।             समस्या गठबंधन नही है, यदि इनके अंदर लोकतंत्र का सम्मान करते हुए देश को आगे बढाने की प्रवृत्ति होती तो फिर देश के भविष्य के लिये चिंतित होने कीआवश्यकता सामान्य जन को नही होती, समस्या ये है कि यह पार्टियां देश के लिये नही, अपनी सत्ता और दूसरे को कुचलने के लिये काम करती हैं, यह देश की संस्कृति परंपरा केस्थान पर तुष्टिकरण और विघटन को जन्म देती हैं, यह देश के गरीबों के लिये नही, अपने चाटुकारों और अपने को लाभ पहुंचाने वालों के लिये काम करती हैं।             यदि केंद्र की उपलब्धियों को देखें तो 5 वर्ष में इतना कुछ हुआ जितना 60 वर्षों नही हुआ। अयोग्य शासक देश, धर्म, संस्कृति और देश के नागरिकों सहित सभी कानुकसान करता है, लेकिन यह भी सत्य है कि नेता अयोग्य हो या योग्य, उसको चुनती जनता ही है, और जो चुना जायेगा, वो ऐसा होगा जिसे हमें भुगतना पड़ेगा, या वो ऐसा होगा जोहमें हमारी ईमानदारी और मेहनत का भुगतान करेगा, ये हमारे वोट पर निर्भर करेगा। 2019 सिर्फ चुनाव नही है, ये एक दोराहा है जिसमें एक राह विकास की है, और दूसरी देश केअपमान, अराजकता, गरीबी की है। देश के स्टीयरिंग को किस हाथ में देना है, यह निर्णय हमें ही लेना है।

सप्लाई चेंन से 47 प्रतिशत गायब हो रहे पानी में टेंकर माफिया का बड़ा हाथ-विजेन्द्र गुप्ता

विपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री तथा दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल की नाक के नीचे बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार और अनियमिततायें व्याप्त है। उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अनेक संगीन आरोप लगाते हुये उपराज्यपाल से मांग करी कि इसकी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा...

देश का युवा समझता है कि राहुल गांधी एवं अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में बैठकर देश तोड़ने की साजिश रच रहे हैं-मनोज तिवारी

केजरीवाल जहां संवैधानिक ढांचे की बुनियाद को खोखला करने में लगे हुए हैं वहीं अपने घोषणा पत्र में देशद्रोह की धारा 124-ए को समाप्त करने की घोषणा कर राहुल गांधी ने देशद्रोहियों के साथ अपने रिश्ते पर मुहर लगा दी है-मनोज तिवारी दिल्ली भाजपा अध्यक्ष एवं उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी ने आज अशोक विहार के सत्यवती...

मेरी चर्चा को तोड-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया, कानूनी कार्यवाही करूंगा – डॉ उदितराज

नई दिल्ली,  मैं हतप्रद रह गया जब टीवी9 भारतवर्ष, जो 30 मार्च 2019 को ही शुरू हुआ है, के कथित स्टिंग ऑपरेशन के बारे में जानकर आश्चर्य हुआ कि मेरी चर्चा को इतना तोड-मरोड़ कर प्रस्तुत कर दिया गया है कि मुझे ही समझना कठिन हो गया। लगता  पर है चैनल पर न्यूज ना दिखाकर बलैकमेल करने का धन्धा...

गोविंदा और उनकी बेटी टीना के ख़ूबसूरत रिश्ते को कैमरे में कैद करना, बना शिवम दुआ का बेस्ट फोटोशूट

भावनाओं को दिखाने वाली तस्वीर से खूबसूरत कुछ भी नहीं :  गोविंदा-टीना के फोटोशूट पर शिवम दुआ    किसी ने सही कहा है - "एक अच्छी तस्वीर दर्शक की भावनाओं को जगाने और उसे मोहित करने का दम रखती है|अपनी एक यात्रा को याद करते हुए, शिवम दुआ ने आज तक के अपने करियर के सबसे खूबसूरत फोटो शूट के बारे में बताया और कहा की यह फोटोशूट दिग्गज अभिनेता गोविंदा और उनकी बेटी टीना आहूजा का था, जिन्होंनेमिलकर एक पत्रिका के कवर के लिए एक साथ तस्वीर खिंचवाई थी । गोविंदा और उनके परिवार को बहुत लंबे समय से जानने के कारण उन्होंने बताया - यह पहली बार हो रहा था जब गोविंदा और उनकी बेटी एक साथ फोटोशूटकरा रहे थे| शिवम ने कहा, '' यह मेरे जीवन की सबसे खास शूटिंग में से एक थी, बाप-बेटी के रिश्ते की भावनाओं और प्यार को जिस तरह से तस्वीरों में उतारा गया था, उससे दर्शक उस लम्हे की पूरी कहानी, तस्वीर देखकर ही भांप सकते थे| इस शूटिंग के दौरान उन्हें लाइटनिंग, बैकग्राउंड और एडिटिंग पर ज्यादा काम नहीं करने पर शिवम ने कहा - "जैसा कि मैंने कहा, एक रिश्ते की चिंगारी एक तस्वीर को बहतरीन बनाने के लिए पर्याप्त है। गोविंदा और टीना के साथकाम करते हुए, मुझे प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन के काम में शायद ही कोई मेहनत करनी पड़ी थी। और यह फोटोशूट बिना किसी कमी के मेरा बेस्ट फोटोशूट बनकर सामने आया । कैमरे के पीछे के व्यवहार को बताते हुए, शिवम्  ने कहा- '' गोविंदा एक ऐसे स्टार है जो अपनी उच्चाइयों को पाने के बाद भी ज़मीन से जुड़े हुए है| जिन्होंने मुझे मेरी इच्छा के अनुसार काम करने के लिए पर्याप्त जगह और स्वतंत्रतादी। लोगों को उनके बारे में गलतफहमी है कि वह दखलअंदाज़ी और शासकीय व्यवहार वाले अभिनेता है, मुझे उनके साथ काम करते हुए एक पल के लिए भी कभी ऐसा नहीं लगा।"

मून लाइट फैशन रन वे 2019 की धूम

- युवा मॉडल को बेहतरीन प्लेटफॉर्म देना उद्देश्य- पीयूष अग्रवाल, - औरा प्रॉडक्शन मिस्टर एवं मिस 2019 का आयोजन की घोषणा की -ब्लैक थीम लोगों को लुभाया। -देश भर के प्रसिद्ध युवा मॉडल ने रैंप पर चलकर लुभाया। नईदिल्ली- औरा प्रोडक्शन ने मून लाइट फैशन रन वे 2019 का आयोजन सम्राट होटल नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस फैशन शो में खास तौर...

व्यंग किन्तु सत्यपरक भाग – 2

व्यंग किन्तु सत्यपरक भाग - 2 मैने कुछ लोगों से चुनाव से सम्बन्धित जानकारी लेने का प्रयास किया था। मैने पूछा कि चुनाव आ गया है, आप किसे वोट देंगे। वो बोले मोदी को, मैने कहा आपके क्षेत्र में तो मोदी नही सतपाल सिंह खडे है। फिर मोदी को कैसे दोगे। मतदाताओं का उत्तर सुनकर लगा कि भारत का मतदाता जागरूक हो...

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